सब्जियों के साथ दाल-चावल और दूध भी हुआ महंगा
नई दिल्ली . हाल के महीनों में किचन का बजट बिगड़ गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक साल में दाल, चावल और आटा 30% तक महंगे हो गए हैं। इस बीच देश के कुछ हिस्सों में टमाटर 250 रुपए प्रति किलो से ऊपर निकल गया है। हालांकि, आलू के भाव कुछ घटे हैं, लेकिन अगले महीने से प्याज के दाम बढ़ने शुरू हो सकते हैं।
संसद में एक सवाल के जवाब में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि आलू को छोड़कर ज्यादातर खाने की चीजें महंगी हुई हैं। अरहर-मूंग दाल, चावल, चीनी, दूध, मूंगफली तेल और आटा इनमें शामिल है। बीते एक साल में आलू 12% सस्ता हुआ, पर प्याज 5% महंगी हो गई। किचन का बजट बिगाड़ने में टमाटर के बाद सबसे बड़ी भूमिका अरहर दाल की है। 31 जुलाई तक 1 साल में यह 30% महंगी हो गई है।
अगले माह दोगुने हो सकते हैं प्याज के भाव
क्रिसिल के मुताबिक, सप्लाई घटने से सितंबर की शुरुआत में प्याज 60-70 रुपए प्रति किलो तक पहुंच सकती है। अभी यह 15-30 रुपए किलो बिक रही है। क्रिसिल का कहना है कि फरवरी में महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में रबी की फसल जल्दी पक गई। मार्च में इन इलाकों में बेमौसम बारिश से शेल्फ लाइफ 6 महीने से घटकर 4-5 महीने रह गई।
अरहर का उत्पादन घटने का दिखा असर
मंत्रालय ने बताया कि अरहर दाल के भाव बढ़ने की मुख्य वजह घरेलू उत्पादन घटना है। पिछले साल 42.2 लाख टन अरहर का उत्पादन हुआ था। इस साल यह घटकर 34.3 लाख टन रहने का अनुमान है। टमाटर उत्पादक कई इलाकों में सफेद मक्खी का प्रकोप और बारिश से फसल कम उतरी और सप्लाई भी बाधित हुई।
महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।
इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।