प्रमोशन को लेकर सरकारी तरीके अजीब गरीब
नायब तहसीलदार और तहसीलदार जिन्हें मजिस्ट्रेट पावर हैं उन्हें भी अपने हक के लिए विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है* वह भी हड़ताल स्वरूप है। इसका प्रमुख कारण यह है कि मध्यप्रदेश में सन् 2016 से लेकर अभी तक नायब तहसीलदार और तहसीलदार के प्रमोशन रुके हुए है ठीक उसी प्रकार सब इंस्पेक्टर और थाना प्रभारी (TI) के ऑफिशियल प्रमोशन रुके हुए हैं। इन्हें प्रमोशन तो दिया जाता है पर सैलरी में नहीं और जब भी उनका आगे प्रमोशन होता है वह इनकी पुरानी रैंक के आधार पर ही होता है। छोटे कर्मचारी और बड़े अधिकारी इस रोक से विमुक्त हैं उनके प्रमोशन हो रहे है। सन 2016 के पहले जो तहसीलदार से एसडीओ बन गए वे और आगे तरक्की पर प्रमोशन से हैं परंतु उनके साथ की बेच के जो तहसीलदार बने रहे वह आज भी तहसीलदार है।
नायब तहसीलदार तहसीलदार सब इंस्पेक्टर और थाना प्रभारी यह बहुत ही गहन जिम्मेदारी के पद हैं और इन पर कई जिम्मेदारियां रहती है। चाहे सत्ताधारियों का राजनीतिक कार्यक्रम हो चाहे सार्वजनिक जीवन के कोई बड़े कार्यक्रम हो या कोई बड़ा धार्मिक आयोजनों राजनीतिक रैली हो वीवीआइपी का शहर में आवागमन हो शहर में दंगे उपद्रव खून खराबा या कुछ भी लफड़ा हो इनकी ड्यूटी 24 घंटे की हो जाती है।
ऐसे जिम्मेदारी पद के लिए सरकार ने विशेष ध्यान रखना चाहिए इनके प्रमोशन के साथ अन्य सुविधाओं पर भी ध्यान रखना चाहिए ताकि यह किसी मानसिक तनाव में न हो और इन पर राजनीतिक दबाव भी ना आए इस बात का ख्याल रखना चाहिए इनको जितना फ्रीहैंड रखेंगे तो निश्चित रूप से यह लोग खुले दिल से जनसेवा कर सकेंगे यदि यह लोग अपनी नौकरी में त्रस्त रहेंगे तो जनता के साथ भी न्याय नहीं हो पाएगा।