विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर दूसरा दशक में संगोष्ठी
फलोदी . विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर रविवार को दूसरा दशक में एक संगोष्ठी आयोजित की गई । संगोष्ठी में मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के अभाव में होने वाली बीमारियों तथा बचाव के उपायों पर विचार–विमर्श किया गया । संभागी किशोरियों और महिलाओं ने मासिक धर्म स्वच्छता की जरूरत के बारे व्यक्तिगत रूप से तथा सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं तथा किशोरियों को जागरूक करने का संकल्प लिया ।
परिचर्चा की शुरुआत करते हुवे दूसरा दशक की शैलजा व्यास ने कहा कि भारत में 24 साल से कम उम्र की 50% महिलाओं के साथ स्वच्छता के मुद्दे पर समझ बनाने की बेहद जरूरत है । ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी कुछ महिलाएं पैड या कपड़े का इस्तेमाल नहीं करती हैं । बशीरों का कहना था कि साफ–सफाई की जरूरत तथा स्वच्छता के अभाव में होने वाली बीमारियों के बारे में समझाने पर अब कुछ महिलाएं पैड का उपयोग करने लगी हैं।
अरूणा ने बताया माहवारी चक्र लगभग 28 दिन का होता है इसलिए मई महीने की 28 तारीख को दुनियाभर में मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। मुस्कान, रक्षा, रेखा, लक्ष्मी व फिजा ने बताया कि हमें कई दिन तक रक्तस्त्राव, पेट दर्द, कमर दर्द, चक्कर आना, पैर दर्द, बुखार, शरीर में सूजन, कम रक्तस्त्राव, पीरियड का समय पर नहीं आना जैसी के गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ता है।
प्रशिक्षिका नीलम ने बताया कि मासिक धर्म के समय शारीरिक स्वच्छता, पौष्टिक आहार, साफ सूती कपड़े या सैनेटरी नैपकिन का उपयोग करना, 4 से 5 घंटे में नियमित अतंराल से पैड बदलना, उपयोग किये हुए पैड को उचित तरीके से निस्तारण करना, माहवारी के संबंधी गंभीर समस्या होने पर चिकित्सा परामर्श लेना चाहिए। पुष्पा, सपना, साईना, राजकुमारी, तारा, लक्ष्मी, हेमलता, नफीसा आदि ने कहा कि वे परिवार व आस पड़ौस कि महिलाओं को समझाएंगे ।
परियोजना निदेशक मुरारी लाल थानवी का कहना था कि मासिक धर्म संबंधी विषय पर परिवार के पुरुषों को भी जागरूक करने के लिए गंभीरता से प्रयास शुरू किए की जरूरत है । थानवी के इस विचार पर सभी महिलाओं और किशोरियों ने सहमति व्यक्त की ।