
तमिलनाडु सरकार बोली-थिएटर्स ने खुद हटा दी केरला स्टोरी
लोग फिल्म देखने आ ही नहीं रहे थे; केरल का जवाब- फिल्म में हेट स्पीच है
नई दिल्ली . द केरला स्टोरी फिल्म से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि उन्होंने फिल्म पर बैन नहीं लगाया है। दर्शक खुद ही फिल्म देखने नहीं जा रहे जिसके चलते थिएटर मालिकों ने फिल्म की स्क्रीनिंग बंद कर दी।
वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने जवाब में कहा कि फिल्म में हेट स्पीच है। साथ ही यह फिल्म हेरफेर किए गए तथ्यों पर आधारित है। इससे राज्य में सांप्रदायिक तनाव और लॉ एंड ऑर्डर की समस्या पैदा हो सकती है।
तमिलनाडु सरकार की तरफ से दायर एक हलफनामे में कहा गया कि सरकार थिएटर्स में सुरक्षा दे सकती है, दर्शकों को नहीं ला सकती। मल्टीप्लेक्स मालिक खुद फिल्म नहीं लगाना चाहते। ये डिसीजन उनका है। उन्होंने फिल्म से जुड़ी आलोचनाओं, बड़े सितारों की कमी और खराब प्रदर्शन के चलते स्क्रीनिंग बंद की है। इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं।
सरकार ने शैडो बैन के आरोपों को बताया झूठा
तमिलनाडु सरकार ने फिल्म मेकर्स के शैडो बैन करने के आरोपों का भी खंडन किया। सरकार ने कहा कि फिल्म को 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज किया गया था और फिल्म मेकर्स के पास ऐसा कोई लिखित में सबूत नहीं है जिसमें सरकार की तरफ से फिल्म स्क्रीनिंग बंद करने की बात कही गई हो।
तमिलनाडु में मुस्लिम संगठनों ने किया था प्रदर्शन
केरला स्टोरी के खिलाफ 5 मई को मुस्लिम संगठनों ने करीब 20 जगहों पर प्रदर्शन किया था। इसके बाद 6 मई को चेन्नई और फिर अगले दिन कोयम्बटूर में विरोध हुआ। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कुल 9 मामले दर्ज किए गए जिसमें चेन्नई में पांच और कोयम्बटूर में चार मामले दर्ज किए गए।
द केरला स्टोरी को बैन करने की मांग क्यों?
फिल्म 'द केरला स्टोरी' अलग-अलग समुदाय की लड़कियों के इस्लाम में कन्वर्जन और उन्हें ISIS में शामिल करने पर बेस्ड है। वहीं, मुस्लिम संगठन, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कुछ राजनीतिक पार्टियां इस फिल्म को इस्लाम और केरल को बदनाम करने वाली बता रहे हैं।
कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने 30 अप्रैल को फिल्म को लेकर ट्वीट किया था। उन्होंने फिल्म का पोस्टर शेयर करते हुए लिखा था, 'यह आपकी केरला स्टोरी हो सकती है, यह हमारी केरला स्टोरी नहीं है।'