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भोपालगढ़। क्षेत्र के रतकूड़िया भाकर स्थित लोकसंत सदगुरू भोलाराम महाराज की देवरीधाम की तलहटी में तीखीधाम स्थित सदगुरू भोलारामजी महाराज रूपरजत गौशाला के 14वें स्थापना दिवस पर देवरीधाम महंत रमैयादास महाराज के सान्निध्य में आयोजित की जा रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में पाँचवें दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। देवरीधाम उत्तराधिकारी युवाचार्य संत रामदास शास्त्री ने बताया कि कथावाचक रामधाम खेड़ापा उत्तराधिकारी गोविन्दराम शास्त्री ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि परमेश्वर के प्रति की गई प्रीत ही सच्ची प्रीत कहलाती है। वही प्रीत जन्म जन्मांतर तक अमर रहती है। प्रीत करना सभी लोग जानते हैं लेकिन प्रीत किससे करनी चाहिए यह नहीं जानते हैं। प्रीत करने से पहले मनुष्य को सोचना चाहिए कि जिसके साथ वह प्रीत कर रहा है क्या वह व्यक्ति हमारा सच्चा प्रेमी है, क्या वह आजीवन प्रीत निभा सकता है। सांसारिक जीवन में केवल मतलब निकालने तक ही प्रीत निभाई जाती है। ईश्वर के साथ की गई अदृश्य प्रीत आदि से अंत तक अमर होती है। कर्म, मोह, ममता आदि ऐसे विषय है जो परमात्मा से प्रेम मार्ग में अवरोधक हैं। दुर्जन और दुष्ट लोगों से की गई प्रीत दुर्गुण व अंहकार उत्पन्न करती है। जबकि सज्जनों से की गई प्रीत ईश्वर से अनुराग उत्पन्न करती है। सद्गुरु और परमात्मा से जोड़ी गई प्रीत सागर से भी गहरी होती है। इस मौके पर कई संत महात्मा व श्रद्धालु मौजूद थे।
 
                                                                        
                                                                    