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पांच राज्यों की 175 सीटों पर फंसा पेंच

पांच राज्यों की 175 सीटों पर फंसा पेंच

इंडि गठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव में मुख्य रूप से पांच राज्यों में सीटों के बंटवारे को लेकर
चक्करघिन्नी हो रहा है। ये राज्य है यूपी, प बंगाल, केरल, दिल्ली और पंजाब। इन पांच राज्यों
में लोकसभा की करीब 175 सीटें है। कांग्रेस को प. बंगाल, केरल, यूपी, दिल्ली और पंजाब जैसे प्रदेशों
में अपने ही घटक दलों के साथियों से टकराना होगा जिसका कोई सर्वमान्य हल निकालना बहुत मुश्किल
है। देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में लोकसभा की 80 सीटें है। कहा जाता है दिल्ली के ताज का
फैसला यूपी करता है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 62, अपना दल (एस) को 2
बसपा को 10, सपा को 5 और कांग्रेस को मात्र एक सीट हासिल हुई थी। कांग्रेस के सबसे बड़े
नेता राहुल गांधी को यहां हार का सामना करना पड़ा था। इस प्रदेश में प्रियंका वाड्रा का जादू
भी फेल हो चुका है। यूपी में इंडि गठबंधन के घटकों के सामने सीटों का बंटवारा बड़ा चुनौतीपूर्ण
है। यहां समाजवादी पार्टी का बड़ा जनाधार है। कांग्रेस को इस बड़े राज्य में 15 - 20 सीटें
चाहिए मगर सपा चार पांच सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। सपा मुखिया अखिलेश यादव
कांग्रेस को चालू पार्टी कह चुके है।
बंगाल में स्थिति यूपी से भी ज्यादा ख़राब है। बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें है। इनमें 2019
के चुनाव में टीएमसी को 22, भाजपा को 18 और कांग्रेस को मात्र दो सीटें मिली थी। कभी
बंगाल पर लम्बे समय से राज करने वाली वामपंथी पार्टियों को एक भी सीट नहीं मिली। इंडि
गठबंधन में टीएमसी, कांग्रेस और वामपंथी शामिल है। मगर राज्य में तीनों घटकों में एक दूसरे
के प्रति भारी कटुता का वातावरण है। कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी गाहे बगाहे
ममता बनर्जी पर आरोप लगाते रहते है। मार्क्सवादी पार्टी इस राज्य में कांग्रेस से गठबंधन को
तैयार है मगर ममता की पार्टी से हाथ मिलाने को राजी नहीं है। केरल में 2019 में कांग्रेस नीत
यूनाइटेड फ्रंट को 20 सीटों में से 19 में सफलता मिली जबकि वामपंथी मोर्चे को सिर्फ एक सीट
मिली। राहुल गाँधी यूपी में हार गए मगर केरल में एक सीट पर जीतने में सफल हुए थे। यहाँ
वर्तमान में वामपंथी सत्तारूढ़ है। भाजपा के पास कोई सीट नहीं है। मुख्य संघर्ष कांग्रेस नीत
मोर्चे और वामपंथी मोर्चे के मध्य है। यहाँ सीटों का बंटवारा मुश्किल में फंसा है। पंजाब और
दिल्ली में इस समय आम आदमी पार्टी का राज है। इन दोनों राज्यों में आप ने कांग्रेस से सत्ता
छीनी थी। पिछले चुनाव में दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटें भाजपा ने जीती थी। कांग्रेस
यहाँ आप से आधी सीटें मांग रही है। पंजाब में लोकसभा की 13 सीटों में से कांग्रेस ने 8 और

भाजपा अकाली दल ने संयुक्त रूप से चार सीटों पर विजय हासिल की थी। एक सीट आप ने
जीती थी। यहाँ भी आम आदमी पार्टी सत्तारूढ़ है। यहां भाजपा अकाली गठजोड़ टूट चुका है,
जबकि कांग्रेस और आप इंडि गठबंधन में शामिल है। पंजाब कांग्रेस किसी भी स्थिति में आप से
गठजोड़ के खिलाफ है। यहाँ भी इंडि गठबंधन संकटपूर्ण हालात में है। इस प्रदेश में पूर्व
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ सहित अनेक प्रमुख नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा का
परचम लहरा रहे है।
इसके अलावा महाराष्ट्र की 48, बिहार की 40, तमिलनाडु की 39 सीटों का बंटवारा भी होना
है। बताया जाता है इन राज्यों में बंटवारे को लेकर ज्यादा हाय तैाबा नहीं मची है। यहाँ सीटों का
बंटवारा आसानी से होने की सम्भावना है। बताया जाता है कि इंडिया गठबंधन की बैठक से
पहले कांग्रेस भी होमवर्क कर चुकी है और वह लोकसभा चुनावों में 310 सीटों पर चुनाव लड़ना
चाहती है, जबकि इंडिया गठबंधन के दूसरे दलों के लिए 240 सीट छोड़ना चाहती है। मीडिया
रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस यूपी में 15-20, महाराष्ट्र में 16-20, बिहार में 6-8, पश्चिम बंगाल
में 6-10, झारखंड में 7, पंजाब में 6, दिल्ली में 3, तमिलनाडु में 8, केरल में 16, जम्मू-कश्मीर
2 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है। 

 -  बाल मुकुन्द ओझा

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