Mineral Tax पर 9 जजों की बेंच ने कौन सा ऐतिहासिक फैसला दिया, कैसे मालामाल हो सकते हैं ये राज्य!
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इतिहास रच दिया है। खनिज टैक्स यानी मिनिरल टैक्स को लेकर चल रहे राज्य और केंद्र सरकार के मतभेद वाले केस में अपना ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट में मिनरल टैक्स पर सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई में 9 जजों की बेंच में पहले मैराथन सुनवाई चली थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट में ये ऐतिहासिक केस तो चल ही रहा था। इसमें फैसला भी ऐतिहासिक ही हुआ है क्योंकि मामले में बेंच ने 8 के अनुपात में 1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया है। यानी की मिनरल टैक्स को लेकर इस फैसले में आठ जजों की राय एक रही। बस एक जज जस्टिस बीवी नागरत्ना का मत फैसले से असहमत रहा।
8 जजों ने क्या फैसला सुनाया
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बहुमत के फैसले में कहा कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों में निहित है और खनिजों पर दी जाने वाली रॉयल्टी कोई कर नहीं है। पीठ ने कहा कि संसद के पास संविधान की सूची एक की प्रविष्टि 54 के तहत खनिज संपदा अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति नहीं है। इस फैसले में कहा गया कि हालांकि संसद अभी भी खनिज संपदा पर कर लगाने के राज्यों के अधिकारों की सीमा निर्धारित करने के लिए कानून बना सकती है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने और पीठ के सात न्यायाधीशों के फैसले को पढ़ा जिसमें कहा गया कि संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के अंतर्गत संसद को खनिज संपदा अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है। शुरू में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पीठ ने दो अलग-अलग फैसले दिए हैं और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने असहमति वाला फैसला दिया है।