उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हुआ छठ महापर्व
नई दिल्ली। भारत की आस्था, परंपरा और समर्पण का प्रतीक छठ महापर्व आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। मंगलवार की सुबह जैसे ही सूरज की पहली किरणें धरती पर पड़ीं, व्रती महिलाओं ने पवित्र नदियों, तालाबों और घाटों में जल में डुबकी लगाकर भगवान सूर्य देव और छठी मइया को अर्घ्य अर्पित किया। इस अर्घ्य के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का समापन हुआ, और व्रतियों ने 36 घंटे का कठोर निर्जला उपवास पूरा किया।
सुबह के समय घाटों पर अद्भुत दृश्य देखने को मिला। आसमान में हल्की लालिमा थी, घाटों पर दीपों की लौ झिलमिला रही थी, और हर दिशा में “छठ मइया के जयकारे” गूंज रहे थे। व्रती महिलाएं पीले और लाल रंग की साड़ियों में सजीं, हाथों में सूप, ठेकुआ, केले, नारियल और गन्ने से सजी पूजा की टोकरी लिए जल में खड़ी थीं। परिवार के सदस्य भी पास खड़े होकर पूजा में शामिल थे। वातावरण में आस्था और श्रद्धा का अनुपम मिश्रण था।
36 घंटे का कठोर व्रत पूर्ण
छठ पूजा को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत में व्रती 36 घंटे तक बिना भोजन और पानी के रहते हैं। पहले दिन ‘नहाय-खाय’ से पर्व की शुरुआत होती है, दूसरे दिन ‘खरना’ में गुड़-चावल की खीर बनाकर व्रती भोजन करते हैं। तीसरे दिन शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन होता है। इस बार भी देशभर में लाखों व्रतियों ने इस कठिन तपस्या को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाया।
सूर्य देव से मांगी संतान और परिवार की समृद्धि की कामना
छठी मइया और सूर्य देव को अर्घ्य देते समय व्रती महिलाओं ने संतान की दीर्घायु, परिवार की सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन के मंगल की कामना की। कई महिलाएं बच्चों को गोद में लेकर जल में खड़ी दिखीं। यह दृश्य मातृत्व, प्रेम और आस्था का ऐसा संगम था जो हर किसी के हृदय को स्पर्श कर गया।
घाटों पर उमड़ी भीड़, दिखी अपार श्रद्धा
देश के हर राज्य में छठ का नजारा कुछ अलग ही रहा। पटना, वाराणसी, दिल्ली, प्रयागराज, लखनऊ, रांची, जयपुर और मुंबई जैसे शहरों में भी सुबह से ही श्रद्धालु घाटों पर उमड़ पड़े। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। कई जगहों पर विशेष सफाई अभियान चलाए गए और मेडिकल टीमें तैनात रहीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी शुभकामनाएं
छठ पर्व के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने एक्स (ट्विटर) पोस्ट में लिखा —
“भगवान सूर्यदेव को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ आज महापर्व छठ का शुभ समापन हुआ। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के दौरान छठ पूजा की हमारी भव्य परंपरा के दिव्य दर्शन हुए। समस्त व्रतियों और श्रद्धालुओं सहित पावन पर्व का हिस्सा बने अपने सभी परिवारजनों का हृदय से अभिनंदन! छठी मइया की असीम कृपा से आप सभी का जीवन सदैव आलोकित रहे।”
प्रधानमंत्री के इस संदेश को लाखों लोगों ने सोशल मीडिया पर साझा किया। कई केंद्रीय मंत्रियों और राज्य के मुख्यमंत्रियों ने भी देशवासियों को बधाई दी और छठी मइया से सबके जीवन में सुख-शांति की प्रार्थना की।
छठ पूजा का वैज्ञानिक और सामाजिक महत्व
छठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का उत्सव भी है। सूर्य देव ऊर्जा और जीवन के स्रोत हैं, और छठ पूजा इसी ऊर्जा के प्रति आभार का प्रतीक है। यह पर्व पर्यावरण संरक्षण और जल स्रोतों की स्वच्छता का भी संदेश देता है। इसके साथ ही, छठ समानता का प्रतीक भी है — इस दिन गरीब और अमीर, सभी एक साथ घाटों पर खड़े होकर पूजा करते हैं।
समापन का दृश्य अद्भुत रहा
जैसे-जैसे सूर्य की किरणें तेज होती गईं, व्रती महिलाओं ने अर्घ्य अर्पित कर आशीर्वाद लिया और पूजा संपन्न की। घाटों पर ‘छठी मइया की जय’ के स्वर गूंज उठे। व्रती महिलाओं ने फिर प्रसाद ग्रहण किया और परिवार के सदस्यों के साथ घर लौटीं। उनके चेहरों पर व्रत पूर्ण करने की थकान के साथ संतोष और श्रद्धा की चमक झलक रही थी।
संक्षेप में, छठ महापर्व ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत की सांस्कृतिक जड़ें कितनी गहरी और सशक्त हैं। यह पर्व न केवल सूर्य उपासना का माध्यम है, बल्कि सामाजिक एकता, अनुशासन और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का संदेश भी देता है। छठी मइया की कृपा से पूरा देश भक्ति और आस्था के रंग में रंग गया।