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गलतियों से घबराओ मत, इन्हें स्वीकारो और सुधार करो: डॉ.रविन्द्र गोस्वामी

गलतियों से घबराओ मत, इन्हें स्वीकारो और सुधार करो: डॉ.रविन्द्र गोस्वामी

  • कोटा केयर्स के तहत समुन्नत कैम्पस में किया छात्रों से संवाद

कोटा। कामयाब कोटा एवं कोटा केयर्स अभियान के तहत जिला कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी गुरुवार को जवाहर नगर स्थित एलन समुन्नत कैम्पस में स्टूडेंट्स से संवाद किया। उन्होंने स्टूडेंट्स को स्वयं के अनुभवों से लाइफ स्किल्स के बारे में बताते हुए प्रसन्न रहते हुए तैयारी करने के मंत्र बताए।
डॉ.रविन्द्र गोस्वामी ने कहा कि गलतियां सभी से होती है। हममें से कोई भी ऐसा नहीं है जो बिना गिरे चलना सीख गया हो। गलतियां होना स्वभाविक है, हमें उन्हें स्वीकारना आना चाहिए। गलतियों को स्वीकारों और उनसे सीखते हुए सुधार करो, तभी सफलता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि आपके गिरने पर दुनिया कमेंट दे सकती है, उससे मतलब नहीं रखें। दुनिया पत्थर फेंकती तो फेंकने दो आप उन पत्थरों को एकत्रित करके घर बना लो, यही जीत है। आलोचनाओं से भी सीखो, खामोश रहकर अपनी सफलता प्राप्त करके जवाब देना सीखो। कोटा यही सिखाता है, कोटा में आप सिर्फ मेडिकल या इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने नहीं आए, यहां आकर लाइफ स्किल्स सीखना है, मजबूत होकर संघर्ष करते हुए आगे बढ़ना सीखना है।
डॉ.गोस्वामी ने कहा कि हमें पढ़ने के तरीके के बारे में सोचना चाहिए। हम स्मार्टली रिवीजन करें। की-वर्ड्स बनाएं। कापी के जिन पेज पर डिफिकल्टीज है, उनके की-वर्ड बनाकर उसी पेज के कोने पर लिख दें। इसके बाद जब आप रिवीजन करेंगे तो की-वर्ड देखते ही आपका रिवीजन हो जाएगा। इसके अलावा जब कभी रूटीन काम से छुट्टी मिल जाए, क्लास नहीं हो तो रिवीजन पर ध्यान देना चाहिए।
एक छात्रा के ओवर थिंकिंग और सेल्फ डाउट से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि ये दोनों समस्याएं हर व्यक्ति के साथ है। सेल्फ डाउट दिमाग का मैकेनिज्म है जो हमें अवेयर रखता है। हम जिस चीज को इंर्पाेटेंस देते हैं दिमाग उसको बार-बार क्रॉस चौक करता है। यह अच्छा है लेकिन ज्यादा नहीं हो। जब हम बातों को जनरलाइज कर लेते हैं तो ओवर थिंकिंग में नहीं जाते। ओवर थिंकिंग भी होती है और सेल्फ डाउट भी होते हैं। दोनों के लिए हमें ठहरकर सोचने की जरूरत होती है। मेरा मानना है कि जो भी विषय है उसके बारे में सोचें और स्वीकारें कि मैं इस विषय पर ज्यादा सोच रहा हूं और फिर उसके लिए विकल्प लिख लें। जैसे यदि आप यह सोच रहे हैं कि आज खाना नहीं मिला तो इसे लिखें और इससे होने वाले असर को लिखें और फिर उसे फाड़ दें, कागज-पेन नहीं है तो खुद को वाट्सअप कर लें और फिर डिलिट कर दें। आप देखेंगे कि ओवर थिंकिंग और सेल्फ डाउट से आप बहुत हद तक उबर जाएंगे।
डॉ.गोस्वामी ने कहा कि स्टूडेंट्स को अपना अटेंशन स्पान समझना चाहिए। इसके अनुसार ही प्लानिंग करनी चाहिए। हम कितनी देर पढ़ सकते हैं। यह समझते हुए ही छोटी-छोटी प्लानिंग करें। ऐसे में एक्जीक्यूशन अच्छा हो सकेगा। आउटपुट ज्यादा आएगा। कई बार हम प्लानिंग लम्बी कर लेते हैं और एक्जीक्यूशन हमारे अटेंशन स्पान से ज्यादा लम्बा हो जाता है। इससे मामला बिगड़ जाता है। छोटे स्पेल में प्लानिंग करें, छोटे स्पेल में ही एक्जीक्यूशन करें और स्वयं को छोटे-छोटे रिवॉर्ड दें।
मोबाइल हमारा शत्रु है। जब पढ़ाई करते हैं तो ध्यान में आता है कि कोई रील मिस तो नहीं हो गई, जब रील देख रहे होते हैं तो पछतावा होता है कि पढ़ाई करते तो अच्छा रहता। इस अपराधबोध से बचने के लिए हमें दोनों का समय निर्धारित करना चाहिए। जब पढ़ाई करें तो सिर्फ पढ़ाई में ही ध्यान हो और जब रील देखेंगे तो पूरे ध्यान से ही देखेंगे।

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