साइबर-स्लेवरी के रूप में मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़, दो आरोपी गिरफ्तार
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) टीम ने एक बड़े ट्रांसनेशनल मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गैंग भारतीय युवाओं को विदेश में शानदार नौकरी का झांसा देकर म्यांमार ले जाता था और वहां उन्हें साइबर-फ्रॉड कराने के लिए मजबूर करता था। इस पूरे मामले में दो लोगों, बवाना के रहने वाले दानिश राजा (24) और फरीदाबाद के हर्ष (30) को गिरफ्तार किया गया है। इनके खिलाफ ठोस सबूत मिलने के बाद पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी है। असल कहानी तब सामने आई जब म्यांमार मिलिट्री ने 22 अक्टूबर को एक स्कैम सेंटर पर छापा मारकर कई पीड़ितों को बचाया। कुछ दिन ह्यूमैनिटेरियन कैंप में रहने के बाद भारतीय एम्बेसी की मदद से 19 नवंबर 2025 को उन्हें सुरक्षित भारत वापस भेजा गया। यहां उनसे गहनता से पूछताछ की गई ताकि पता लगाया जा सके कि किस तरह उन्हें फंसाया गया था। इसी दौरान जेजे कॉलोनी, बवाना के रहने वाले इम्तियाज बाबू ने शिकायत दर्ज कराई कि उसे डेटा-एंट्री ऑपरेटर की नौकरी का लालच दिया गया। इम्तियाज ने बताया कि उसे पहले कोलकाता ले जाया गया, फिर वहां से बैंकॉक और उसके बाद म्यांमार के म्यावाडी शहर पहुंचा दिया गया। वहां केके पार्क नाम के एक स्कैम कॉम्प्लेक्स में उसे बंधक बनाया गया, मारा-पीटा गया और अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाकर साइबर-फ्रॉड करने के लिए मजबूर किया गया। पूरे परिसर में हथियारबंद गार्ड थे और जरा-सा विरोध करने पर हिंसा की धमकी दी जाती थी। इस मामले में स्पेशल सेल ने मानव तस्करी, गैर-कानूनी सीमा पार करवाना और इमिग्रेशन एक्ट का उल्लंघन जैसी विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जैसे ही डिपोर्ट किए गए लोगों की पूछताछ से अहम सुराग मिले, 20 नवंबर को एक विशेष टीम बनाई गई। इस टीम में इंस्पेक्टर नीरज चौधरी और कई एसआई तथा कॉन्स्टेबल शामिल थे। पूरी कार्रवाई एसीपी विवेकानंद झा और डीसीपी विनीत कुमार की निगरानी में की गई। इसी दौरान पुलिस ने दानिश राजा को बवाना से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह म्यांमार के स्कैम नेटवर्क से जुड़ा हुआ था और मार्च 2025 में अपने डिपोर्ट होने के बावजूद भारत में युवाओं को फंसाने का काम जारी रखे हुए था। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि यह पूरा सिंडिकेट बेहद संगठित तरीके से काम करता है। पहले युवाओं को विदेश में अच्छी नौकरी का लालच दिया जाता था, फिर उन्हें गैर-कानूनी रास्तों से बॉर्डर पार करवाया जाता था। कई बार हथियारबंद एस्कॉर्ट्स के साथ गाड़ियों में ट्रांसफर किया जाता था, ताकि कोई भाग न सके। म्यावाडी पहुंचने के बाद उन्हें बड़े-बड़े स्कैम कंपाउंड में मजबूरन साइबर-फ्रॉड करवाया जाता था। गिरफ्तार आरोपियों से दो मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं, जिनमें विदेशी हैंडलर्स के साथ चैट और बातचीत के कई सबूत मिले हैं। अभी इन उपकरणों की डिजिटल फोरेंसिक जांच चल रही है। पुलिस अब पैसे के लेन-देन की कड़ियों का पता लगा रही है और इस पूरे नेटवर्क में शामिल बाकी लोगों की तलाश भी जारी है।