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उपभोक्ता मामलों में जागृति से भारत का विकास संभव

उपभोक्ता मामलों में जागृति से भारत का विकास संभव

जयपुर। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि उपभोक्ता मामलों में जागृति से भारत का विकास संभव है। उपभोक्ता के हितों का संरक्षण आवश्यक है।

गोदारा आज इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान के सभागार में उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा आयोजित राज्य-जिला आयोग में परिवाद प्रस्तुति की प्रक्रिया-पद्धति प्रशिक्षण की कार्यशाला में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण व शहरी क्षेत्र क्रांति के रूप में आगे बढ़ रहे हैं, रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। जो पहले कभी नहीं थे।उपभोक्ता जागरूक होगा तो विकसित राजस्थान होगा, विकसित देश होगा।

उन्होंने बताया कि विभाग ने गैस सिलेंडर व मापतौल के अभियान चलाए गए थे। अब ये कार्य अभियान के रूप में नहीं होकर निरंतर जारी रहेंगे और विभाग द्वारा उपभोक्ता के हितों का सरंक्षण करने के साथ-साथ जागरूक भी किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी जागरूकता लायी जाय। इसके लिए उचित मूल्य की दुकानों पर उपभोक्ता हितों के संरक्षण तथा हेल्पलाइन के बारे में जानकारी दी जाय। सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित व्यक्ति को अवश्य लाभ मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण में आये सुझावों पर अमल किया जाय, उनकी क्रियान्विति की जाय तब ही इसके उद्देश्य पूरे होंगे। कोई भी व्यक्ति बिना किसी भय के अपने अमूल्य सुझाव मुझे व्यक्तिगत रूप से दे सकता है।

न्यायाधिपति एवं राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र कुमार कच्छावाहा ने कहा कि देश का प्रत्येक नागरिक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता है। उपभोक्ता मंच में विधि की मंशा के अनुरूप समय के अनुसार परिवाद प्रस्तुत किया जाना चाहिए। उपभोक्ता अधिनियम जब से प्रभाव में आया है तब से लगभग 37 वर्षों से उपभोक्ताओं के संरक्षण की कार्यवाही की जा रही है।

उन्होंने कहा कि अब परिवादी जहाँ रहता है वहीं से परिवाद दायर कर सकता है। दो वर्ष में परिवाद प्रस्तुत करना आवश्यक है।परिवाद का जवाब पेश करने के लिए 30 दिवस नियत किये गए हैं। मिलावट के परिवादों में लगने वाले जुर्माने के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मिलावटी सामान के उपयोग से कोई बीमारी हो जाती है तो 5 लाख रुपये एवं मृत्यु हो जाने पर 17 लाख का जुर्माना लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने भी लैंडमार्क जजमेंट दिये हैं।

प्रमुख शासन सचिव सुबीर कुमार ने कहा कि हम अपने जीवन में प्रतिदिन उपभोक्ता के रूप में क्रय —विक्रय करते है।उपभोक्ता के लिए राज्य एवं जिला उपभोक्ता मंच में परिवाद दायर करने की जानकारी आवश्यक है। यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि उपभोक्ता के साथ सोने के गहने की खरीद करने पर गुणवत्ता की दृष्टि से ठगी नहीं हो, इसके बारे में भी जागरूक किया जाना आवश्यक है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि उपभोक्ता संरक्षण के सभी बिंदुओं की जानकारी आवश्यक है आशा है कि सभी प्रतिभागी मनोयोग के साथ प्रशिक्षण लेंगे।

उन्होंने कहा कि हमारे विभाग की हेल्पलाइन पर भी अच्छा रेस्पॉन्स मिल रहा है। यह अच्छा कार्य कर रही है।

कार्यशाला में उपभोक्ता केयर (परिवाद मार्गदर्शिका) एवं उपभोक्ता जागृति पत्रिका के विशेषांक का विमोचन किया।

उपभोक्ता मामले विभाग की निदेशक पूनम प्रसाद सागर ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। राज्य आयोग के रजिस्ट्रार अशोक शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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