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बारां। सिद्व चक्र मण्डल एवं विष्व शान्ति महायज्ञ के अन्तिम दिवस पर पंच परमेष्ठी, नारायण, नारायण गणधर, केवली की अर्चना के साथ 1024 अष्ट द्रव्य के अर्ध अर्पित किये गये। अनुष्ठान के अंतर्गत बारां के इतिहास में पहली बार भारतीय संस्कृति की सनातन परम्परा अनुसार माता-पिता वंदन का अनूठा तथा प्रेरणादायक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। जिसमें परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का उनके निकटतम परिजन, बेटा-बेटी तथा सगे-सम्बन्धियों द्वारा भाव भीना सम्मान किया गया। पारिवारिक सदस्यों द्वारा उनके चरणों का प्रक्षालन करने के साथ पगडी पहना कर समुचित उपहार भी उन्हें भेंट किये गये। सम्मान समारोह में अनेक सदस्यों की आंखें सजल हो उठी। केलवाडा में बनने वाले जिनालय के लिय अनेक महानुभावों ने दान राशि की घोषणा की जिनमें पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया द्वारा सर्वप्रथम स्वर्ण आभूषण भेंट कर स्वर्ण सहयोग का शुभारम्भ किया गया।
अनुष्ठान के पुण्यार्जक राजेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि जैन श्रेष्ठी बिठठल, नरेष, पीयूष लष्करी एवं बाबूलाल, ओमप्रकाष, दिनेष कुमार मंगल परिवार द्वारा जी की मंगलकारी भव्य आरती सजाई गई।
आयोजन के प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रहमाचारी अंषु भैया ने कहा कि सिद्व चक्र मण्डल विधान की सफलता तभी होगी जब व्यक्ति राग, द्वेष एवं बैर भावना त्याग कर वात्सल्य भाव अपनायेगा। हमको प्रत्येक प्राणी के प्रति अपनेपन का व्यवहार रखकर मानवता के कर्म का पालन करना चाहिये, क्योंकि सांसो का कोई भरोसा नही है यह चलते-चलते कब थम जाये।
कुबेर एवं पाल की भूमिका निभा रहे अंकित जैन एवं पंकज जैन के अनुसार सिद्वचक्र मण्डल विधान का आयोजन सम्पूर्ण देष में वर्ष के आषाढ कार्तिक एवं फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में जैन समाज द्वारा एक महोत्सव के रूप में आयोजित करने की परम्परा आज भी विद्यमान है क्योंकि यह विधान व्यथित मानवता में शांति का संचार करता है। अनुष्ठान के समापन पर बुधवार को प्रातः महाशांति हवन एवं तत्पष्चात जी की शोभायात्रा चौमुखा बाजार बारां जिनालय से निकाली जावेगी।
 
                                                                        
                                                                    