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विद्यार्थी बौद्धिक क्षमता बढ़ाने पर करें ध्यान केन्द्रित : राज्यपाल

विद्यार्थी बौद्धिक क्षमता बढ़ाने पर करें ध्यान केन्द्रित : राज्यपाल

  • अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 60 वें प्रांत अधिवेशन का भरतपुर में आयोजन

जयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि विद्यार्थी किताबी ज्ञान के साथ-साथ बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करे। इसी से उसका सर्वांगिण विकास संभव है। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास एवं प्राचीन ग्रंथ ज्ञान के भंडार हैं। इससे आज का युवा बहुत कुछ सीख सकता है।

बागडे सोमवार को भरतपुर विकास प्राधिकरण के ओडिटोरियम में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 60 वें प्रांत अधिवेशन के उद्धघाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थी शिक्षण संस्थानों में अध्ययन के दौरान ध्यान लगाकर अध्ययन करें, किसी प्रकार की शंका-संकोच के लिये अध्यापक से तब तक सवाल करें जब तक आपके जवाब प्राप्त नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि शिक्षा लेना आपका हक है और सिखाना अध्यापक का कर्तव्य है।

बागडे ने कहा कि विद्यार्थी अपनी बौद्धिक शक्ति, गुणों, कौशल, नम्रता व संस्कारों से एक उजाले के जैसे चमक कर अपनी प्रतिभा दिखाऐं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी महज किताबों के ज्ञान अर्जन या सर्टिफिकेट व डिग्री पर आश्रित ना रहे, बौद्धिक क्षमता का विकास कर व्यवहारिक गुणों के साथ आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी संगठन अपनी शक्ति का विकास कर विद्यार्थियों की सहायता करने के साथ साथ देश का नाम व शौर्य बढ़ाने का कार्य करें। उन्होंने भारतीय इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र करते हुए महाराण प्रताप की शौर्य गाथा एवं गुरू गोविन्द सिंह के पुत्र बाल जोरावर सिंह व फतेह सिंह की बलिदान गाथा के बारे में बताते हुए युवाओं को उनसे प्रेरणा लेने को कहा।

उन्होंने भास्कराचार्य एवं भट्टाचार्य जैसे विद्वानों का उल्लेख करते हुये बताया कि भारत विश्वगुरु रहा है, यहां के प्राचीन ग्रंथो ने विज्ञान, खगोशास्त्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में हजारों साल पहले ही वो ज्ञान दिया है जिसे लेकर आज के वैज्ञानिक भी चकित हैं। उन्होंने नालन्दा विश्वविद्यालय की शिक्षण पद्वति एवं ज्ञान भण्डार के बारे में बताते हुये कहा कि बाहरी आक्रांताओं ने बार-बार हमारी संस्कृति, इतिहास, परम्परा को मिटाने के प्रयास किए, लेकिन ये हमारे बीच आज भी विद्यमान हैं, जीवंत हैं, जिनका अनुसरण हमें करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातन शिक्षा नीति काफी महत्वपूर्ण है जिसका हमें अध्ययन करना चाहिये। उन्होंने कहा कि आज के युग में सभी क्षेत्रों में महिलाऐं पुरूषों से आगे आ रहीं हैं एवं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। आरंभ में देवदत्त जोशी ने प्रांत अधिवेशन के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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