राशन के गेंहू के साथ जबरन दी जा रही चाय पत्ती
बारां. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकार की ओर से उचित मूल्य दुकानदारों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गेहूं का वितरण किया जा रहा है, लेकिन सरकार के अपने कुछ राशन विक्रेता खुद की आय बढ़ाने के लिए गेहूं के अलावा अन्य सामग्री का कारोबार कर रहे हैं। इतना ही नहीं निशुल्क गेहूं लेने पहुंचने वाले उपभोक्ताओं को एक लोकल ब्राण्ड की चाय पत्ती खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। चाय पत्ती नहीं खरीदने वाले उपभोक्ताओं को खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ से वंचित करने के लिए धमकाकर प्रताड़ित किया जा रहा है। इससे जरूरतमंद दुर्बल वर्ग के उपभोक्ताओं में असंतोष है। टैंडर नहीं, फिर भी कर रहे कारोबार सूत्रों का कहना है कि पूर्व में सरकार की ओर से राशन विक्रेताओं के माध्यम से उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर गुणवत्तापूर्ण चाय की पत्ती वितरण को लेकर दिशा-निर्देश दिए थे। उस समय एक मात्र राज ब्राण्ड की चाय पत्ती ही बेचने के आदेश देते हुए सरकार की ओर से ही राज चाय की आपूर्ति की थी, लेकिन अब इसका टैंडर समाप्त हुए करीब एक वर्ष हो गया। करीब एक वर्ष से नए टैंडर नहीं हुए तो राशन की दुकानों पर डीलर की ओर से गेहूं के अतिरिक्त अन्य कोई सामग्री वितरित नहीं की जा सकती है। इसके बाद भी कुछ अधिकृत राशन विक्रेता उपभोक्ताओं को राज के अलावा एक अन्य ब्रांड की चाय पत्ती वितरित कर रहे हैं। चाय नहीं तो गेहूं भी नहीं मिलेगा शहर के अटरू रोड क्षेत्र निवासी उपभोक्ता राकेश मेघवाल, राम बिहारी, हेमराज बैरवा, महेन्द्र यादव समेत अन्य उपभोक्ताओं का कहना है कि पिछले दो माह से राशन विक्रेता गेहूं के साथ चाय की पत्ती दे रहा है। 20 किलोग्राम गेहूं पर ढाई सौ ग्राम चाय पत्ती का पैकेट दिया जाता है ओर 30 किलो गेहूं पर 5 सौ ग्राम चाय पत्ती, वही 45 किलोग्राम पर 750 ग्राम चाय पत्ती दी जाती है। चाय की पत्ती नहीं लेने पर डीलर अभद्रता करने पर उतारू हो जाता है। कुछ महिला उपभोक्ताओं के तो राशन कार्ड तक हाथ से लेकर फेंक दिए। कहा, चाय नहीं लेना है तो गेहूं भी नहीं मिलेंगे। चाय पत्ती का टैंडर समाप्त हुए करीब एक वर्ष का समय होने को है। वर्तमान में सरकार की ओर से कोई टैंडर नहीं हुआ है। इससे राज चाय के अलावा अन्य चाय बेचने के लिए कोई डीलर अधिकृत नहीं है। इस मामले की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।