
बाड़मेर में जिला पुलिस की नाकामी उजागर
- पंजाब पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय तस्करी का भंडाफोड़ कर 60 किलो से अधिक हेरोइन पकड़ी
- डीएसटी टीम गठन में भी नियमों की अनदेखी
बाड़मेर। राजस्थान के संवेदनशील सीमावर्ती जिले बाड़मेर में पुलिस प्रशासन की लापरवाही और खुफिया तंत्र की नाकामी एक बार फिर सामने आ गई है। पंजाब राज्य की पुलिस ने हाल ही में बाड़मेर में आकर अंतरराष्ट्रीय तस्करी का बड़ा भंडाफोड़ करते हुए करीब 60 किलो 302 ग्राम हेरोइन जब्त की है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 300 करोड़ रुपये आंकी गई है। हैरानी की बात यह है कि इतना बड़ा नशा तस्करी नेटवर्क बाड़मेर में संचालित हो रहा था, लेकिन स्थानीय पुलिस प्रशासन और खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। जब पंजाब पुलिस ने पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया, तब इस बात का खुलासा हुआ। इधर, जिला पुलिस अधीक्षक बाड़मेर द्वारा हाल ही में डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम (DST) का पुनर्गठन किया गया है, लेकिन इसमें भी नियमों की खुली अवहेलना की गई। तीन वर्ष से अधिक समय से एक ही स्थान पर जमे कर्मचारियों को पुनः टीम में शामिल किया गया है, जो पुलिस विभाग की स्थानांतरण नीति और पारदर्शिता की भावना के खिलाफ है। इस पूरे मामले को लेकर आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष भगवानसिंह लाबराऊ ने पुलिस महानिदेशक राजस्थान को पत्र लिखकर गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती बाड़मेर जिले में नशा तस्करी का बड़ा नेटवर्क सक्रिय है, लेकिन जिला पुलिस अधीक्षक और उनकी खुफिया टीम पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। भगवानसिंह ने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि पंजाब पुलिस द्वारा जब इतनी बड़ी कार्रवाई की जाती है, तब भी स्थानीय पुलिस प्रशासन को कोई पूर्व जानकारी नहीं होना खुफिया तंत्र की विफलता का प्रमाण है। उन्होंने DST टीम के गठन में नियमों की अनदेखी और वर्षों से जमे कार्मिकों को पुनः शामिल करने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में संगठित अपराध को संरक्षण मिलने की पूरी संभावना है। भगवानसिंह ने पत्र में मांग की है कि पंजाब पुलिस द्वारा बाड़मेर में की गई कार्रवाई की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, जिला पुलिस अधीक्षक की भूमिका की गहन समीक्षा कर सख्त कार्रवाई की जाए, DST टीम का पुनर्गठन निरस्त कर पारदर्शी प्रक्रिया से नई टीम गठित की जाए तथा खुफिया तंत्र की गंभीर विफलता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में नशे और तस्करी पर रोक लगाने के लिए अगर समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या पूरे राजस्थान की कानून व्यवस्था और युवाओं के भविष्य के लिए घातक साबित हो सकती है।