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वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी...

वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी...

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पिछले दस वर्षों में दोगुना हो गया है। वर्तमान मूल्यों पर देश का सकल घरेलू उत्पाद 2015 में 2.1 ट्रिलियन डॉलर था और इसके 2025 के अंत तक 4.27 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने की उम्मीद है, जो मात्र दस वर्षों में 100 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। आइएमएफ ने यह भी बताया कि चालू कैलेंडर वर्ष में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी और यह अर्थव्यवस्था के मजबूत और स्थिर विस्तार का संकेत देती है। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि से तात्पर्य मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में वृद्धि से है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।


देश में मुद्रास्फीति 4.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद

आइएमएफ ने यह भी कहा है कि मुद्रास्फीति आर्थिक स्थितियों को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसी ने कहा कि देश में मुद्रास्फीति 4.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इस तरह मुद्रास्फीति दर अब आरबीआइ के चार से छह प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में है। आइएमएफ के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि प्रति व्यक्ति जीडीपी (कुल आर्थिक उत्पादन के आधार पर एक नागरिक की औसत आय को मापता) 11,940 डॉलर है। यह पिछले कुछ वर्षों में व्यक्तिगत समृद्धि और जीवनस्तर में सुधार को दर्शाता है। हालांकि, डेटा यह भी बताता है कि भारत का सामान्य सरकारी सकल ऋण वर्तमान में जीडीपी का 82.6 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि देश के आर्थिक उत्पादन की तुलना में सरकार की कुल उधारी काफी अधिक है। उच्च ऋण राजकोषीय नीतियों के प्रबंधन में चुनौतियां पैदा कर सकता है, लेकिन भारत ने इसके बावजूद अपनी आर्थिक गति को बनाए रखा है और सरकार लगातार राजकोषीय लक्ष्यों को प्राप्त कर रही है।

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