
श्रीगंगानगर : एडीजे ने राजकीय अस्पताल पदमपुर में स्थिति प्रसूति गृह का किया निरीक्षण
श्रीगंगानगर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्रीगंगानगर के सचिव मुनेश चंद यादव (अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश) गंगानगर के द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पदमपुर के प्रसूति गृह का शुक्रवार को ओचक निरीक्षण किया गया। इस दौरान व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया। प्रसूति गृह में पाई गई कमियों के दुरुस्ती बाबत चिकित्सालय प्रभारी को निर्देशित किया गया। इस दौरान राजकीय अस्पताल पदमपुर में एडीजे यादव एवं बाल अधिकारिता विभाग के संयुक्त तत्वावधान में भामाशाह राजेश सिडाना की मदद से पालना गृह का उद्घाटन किया। तत्पश्चात् अस्पताल में एक विधिक जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया गया। शिविर के दौरान एडीजे यादव ने आंगनबाड़ी कार्यक्रताओं को सम्बांधित करते हुए बताया कि लोग अनचाहे शिशुओं को नदी, नाले व झाड़ियों आदि में फेंक जाते हैं। ऐसे शिशुओं के सुरक्षित जीवन के उद्देश्य से सरकार ने पालना गृह योजना शुरू की। राजकीय अस्पताल में खोले गए पालना गृह का उद्देश्य कोई भी नवजात शिशु जिसे कोई रखना नहीं चाहता या नदी, नाले या झाड़ियों में किसी को फेंका हुआ मिलता है तो वह बिना पहचान बता, पदमपुर अस्पताल के पालना गृह में छोड़ सकता है। ताकि उस नवजात शिशु का भविष्य सुरक्षित रहे। शिविर के दौरान बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष जोगेन्द्र कोशिक ने बाल श्रम, बाल विवाह, भिक्षावृति, पालनहार व राज्य सरकार द्वारा संचालित अनेकों जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। इस अवसर पर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष जोगेन्द्र कोशिक सदस्य डॉ. राम प्रकाश शर्मा, बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक रेणू खैरवा, पदमपुर ब्लॉक के बी.सी.एम.एच.ओ डॉ. मुकेश मित्तल, चिकित्सा प्रभारी डॉ. दिनेश भारद्वाज, राजेश सिडाना भामाशाह, त्रिलोक वर्मा समन्वयक, चाइल्ड हेल्पलाईन 1098 सहित अस्पताल स्टाफ आदि भी उपस्थित रहे। तालुका विधिक सेवा समिति में प्रकरणों में मध्यस्थता की कार्यवाही करने हेतु न्यायिक अधिकारी व बारसंघ अधिवक्तागण के साथ की मीटिंग तालुका विधिक सेवा समिति पदमपुर के अध्यक्ष अजय बिश्नोई, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सहित बारसंघ पदमपुर के अधिवक्तागण के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संचालित मिडीयेशन अभियान के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान उपस्थित अधिवक्तागण को राजीनामा योग्य विचाराधीन प्रकरणों में दोनों पक्षों के मध्य मध्यस्थता की कार्यवाही किये जाने हेतु अनुरोध किया गया।