तम्बाकू ने लाखों लोगों को मौत के मुंह में धकेला
तम्बाकू जैसे जानलेवा पदार्थो से दूर रखने के उद्देश्य से पूरे विश्व में 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 का विषय तंबाकू उद्योग की दखल से बच्चों की रक्षा करना है ताकि भविष्य की पीढ़ियों की रक्षा की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि तंबाकू के इस्तेमाल में गिरावट जारी रहे। तम्बाकू एक मीठा जहर है जो बीड़ी सिगरेट, हुक्का, गुल, गुड़ाकु, जर्दा, किमाम, खैनी, गुटखा अदि धुंवा रहित और धूम्रपानयुक्त कई रूपों में बाजार में उपलब्ध है। तम्बाकू के इस्तेमाल से मुँह, गला, मस्तिष्क, घेंघा, फेफड़ें, पित्ताशय, गुर्दे और स्तन सहित शरीर के विभिन्न अंगों में कैंसर पैदा हो सकता है।
तम्बाकू के कारण हदय रोग, फेफड़े संबंधी रोग, पक्षाघात, अंधापन, दांत और मसूड़े की बीमारियां भी हो सकती है। तम्बाकू के गुटके के रूप में खाने से सफेद दाग, मुँह का नहीं खुल पाना तथा कैंसर रोग भी हो सकता है। लगातार गुटखे या तम्बाकू का सेवन आपके दांत को ढीले और कमजोर बना देते हैं बैक्टीरिया दांतों में जगह बना लेते हैं जिससे दांतों का रंग बदलने लगता है और धीरे-धीरे दांत गलने भी लगते हैं।
तम्बाकू या गुटखा लगातार खाने वालों की जीभ, जबड़ों और गालों के अंदर सेंसेटिव सफेद पेच बनने लगते हैं और उसी से मुंह में कैंसर की शुरुआत होती है जिसके बाद धीरे-धीरे मुंह का खुलना बंद हो जाता है और मुंह में कैंसर फैल जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में बढ़ते खाद्य अभाव और तम्बाकू सेवन से हर साल 80 लाख लोगों की मौत के मद्देनज़र, देशों को तम्बाकू की खेती को अनुदान बन्द करना होगा और खाद्य उत्पादन करने में किसानों की मदद करनी होगी। असल में तम्बाकू के अनेक शारीरिक व आर्थिक नुक्सानको नजरअंदाज नहीं किया जासकता हैं। एक और जहां तम्बाकू के सेवन से कई बीमारियां हों सकती है वहीं दूसरी और यह ग्लोबल फ़ूड क्राइसिस का कारण बन सकता है।
यह सर्वविदित है तम्बाकू के सेवन से जीवन शक्ति का भी ह्रास होता है। व्यक्ति को पता चल जाता है कि तम्बाकू का सेवन हानिकारक है किंतु लाख प्रयासों के बाद भी यह लत छूटती नहीं। और जब व्यक्ति किसी भयानक रोग का शिकार हो जाता है तब उसे इसके खतरनाक होने का एहसास होता है मगर तब तक देर हो चुकी होती है। यह सत्य है कि तम्बाकू का प्रयोग किसी भी रूप में किया जाए, इसका शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता ही है। भारत के साथ ही सम्पूर्ण विश्व में पिछले कुछ सालों में तम्बाकू के सेवन और उससे पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। इस गंभीर लत ने हजारों लोगों को विभिन्न बीमारियों के साथ अकाल मौत के मुँह में धकेल दिया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू और धूम्रपान सेवन से होने वाली हानियों और खतरों से विश्व जनमत को अवगत कराके इसके उत्पाद एवं सेवन को कम करने की दिशा में आधारभूत कार्यवाही करने का प्रयास किया है। तम्बाकू सेवन केवल शरीर के लिए ही हानिकारक नहीं है, यह व्यक्ति की सामाजिक-आर्थिक सिथति को भी कमजोर बनाती है। कई बार इसकी वजह से लोगों का घर-परिवार ही तबाह हो जाता है। दूध-दही के लिए प्रसिद्ध भारत में अब तंबाकू से बने उत्पादों का बढ़ता इस्तेमाल नई पीढ़ी को धीमी मौत की ओर धकेल रहा है। भारत में सबसे अधिक होने वाला कैंसर मुंह में होने वाला कैंसर है।
इसका कारण यह है कि यहाँ के निवासी तंबाकू का किसी न किसी रूप में अत्यधिक सेवन करते हैं। गुटखा, पान-मसाला, खैनी आदि तंबाकू उत्पादों का सेवन यहां के तमाम लोगों की आदतों में शुमार हो गया है। तंबाकू, पान-मसाला और गुटखा के खिलाफ चले अनेक अभियानों के बावजूद तमाम लोगों की तम्बाकू की लत कुछ थमी जरूर है, पर इससे छुटकारा नहीं मिल सका है। यदि हमें एक स्वस्थ एवं खुशहाल जिन्दगी हासिल करनी है तो हमें तम्बाकू का प्रयोग हर हालत में छोड़ना ही होगा। ऐसा करना कोई मुश्किल काम नहीं है। तंबाकू का प्रयोग दृढ़ निश्चय करके ही छोड़ा जा सकता है।
- बाल मुकुन्द ओझा